CIBIL Score Rule Change 2025 : भारत में लोन लेने की प्रक्रिया लगातार डिजिटल हो रही है, और इसी के साथ क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल स्कोर का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। 2025 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सिबिल रिपोर्टिंग से जुड़े नए नियम लागू किए हैं, जिनका असर हर उस व्यक्ति पर पड़ेगा जो क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, होम लोन या किसी भी प्रकार का बैंकिंग क्रेडिट इस्तेमाल करता है। नए नियम न सिर्फ सिस्टम को पारदर्शी बनाएंगे, बल्कि उन उपभोक्ताओं को भी राहत देंगे जिन्हें गलत रिपोर्टिंग के कारण परेशानी होती थी।
इन बदलावों से आम लोगों के लिए यह समझना जरूरी हो गया है कि सिबिल स्कोर कैसे काम करता है, और नए नियम उन्हें किस तरह का फायदा देंगे। अगर आप आने वाले समय में किसी भी तरह का लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।
सिबिल स्कोर क्या है और 2025 में इसका महत्व क्यों बढ़ गया है?
सिबिल स्कोर किसी व्यक्ति के वित्तीय इतिहास का एक संक्षिप्त सार है, जिसमें आपके पुराने लोन, क्रेडिट कार्ड की लिमिट, उनकी रीपेमेंट हिस्ट्री और कुल क्रेडिट व्यवहार शामिल होता है। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है जिसमें 750 से अधिक स्कोर वाले ग्राहकों को बैंक विश्वसनीय मानते हैं। 2025 में बढ़ती डिजिटल लोन एप्स और इंस्टेंट अप्रूवल सिस्टम के कारण सिबिल स्कोर की भूमिका पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। किसी भी वित्तीय संस्था द्वारा लोन का पहला निर्णय इसी स्कोर के आधार पर किया जाता है।
अब जब RBI ने अपडेट प्रक्रिया को और अधिक सख्त और तेज बनाया है, तो सिबिल स्कोर हर महीने अपडेट होगा। इसका मतलब यह है कि अगर आप कोई बिल समय पर चुकाते हैं या अपनी EMI नियमित जमा करते हैं, तो उसका असर तुरंत आपके स्कोर में दिखने लगेगा। इससे उन लोगों को काफी फायदा होगा जो लगातार भुगतान करते हैं लेकिन रिपोर्ट की धीमी अपडेटिंग के कारण अच्छा स्कोर नहीं बना पाते थे।
RBI की नई गाइडलाइन: मासिक अपडेट और स्कोर गिरने का कारण बताना अनिवार्य
पहले बैंकों और NBFCs को हर तीन महीने में डेटा अपडेट करने का समय मिलता था, जिससे ग्राहकों की रिपोर्ट में सुधार दिखने में लंबा समय लग जाता था। 2025 के नियमों के अनुसार अब सभी लोन प्रदाताओं को हर महीने डेटा अपडेट करना होगा। इससे उपभोक्ताओं को समय पर भुगतान का लाभ मिलेगा और उनकी रिपोर्ट अधिक सटीक और करंट दिखाई देगी। यह बदलाव क्रेडिट सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इसके साथ ही अब बैंक को यह भी बताना होगा कि किसी ग्राहक का सिबिल स्कोर क्यों गिरा। पहले यह जानकारी छुपी रहती थी, जिससे ग्राहक को यह पता ही नहीं चलता था कि उसकी गलती क्या है। 2025 के नियम के बाद बैंक और CIBIL को स्कोर में आए हर बड़े बदलाव पर कारण बताना अनिवार्य होगा। इससे लोग अपने क्रेडिट बर्ताव को सुधार सकेंगे और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे।